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चूल्हे के धुएं से आंखों की रोशनी गंवा रही रसोइया- पुर्व माध्यमिक विद्यालय नन्दना

भारत रक्षक न्यूज

महराजगंज/मिठौरा ब्लाक क्षेत्र के ग्राम सभा नन्दना टोला शिवपुर पुर्व माध्यमिक विद्यालय में मध्यान्ह भोजन योजना की रीढ़ कहे जाने वाली रसोइया चूल्हे के धुएं से आंखों की रोशनी गंवा रही

बताया की प्रधानाचार्य को कई बार कहा गया है लेकिन हिल्ला हवाली कर के बातो को टाल देती है।
ग्राम प्रधान उमेश सहानी ने बताया कि कई बार इस बात को लेकर प्रधानाचार्य से नोक-झोंक भी हुआ है।विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन योजना की रीढ़ कहे जाने वाले रसोईयों की हालत दयनीय है। विद्यालय में गैस चूल्हे के अभाव में वह लकड़ी से भोजन बनाने को विवश हैं। जिससे रसोइया मामूली रुपये में अपनी आंखे गंवाने को मजबूर हैं। चूल्हे के धुएं से आंखें कमजोर हो रही हैं। विभाग इस बुनियादी समस्या के तरफ ध्यान नहीं दे रहा है।

रसोईया ने बताया की कभी नही गैस से खाना बनता है।
मिठौरा ब्लाक के ग्राम पंचायत नन्दना टोला-शिवपुर पुर्व माध्यमिक विद्यालय में अध्यनरत छात्रों को मिड डे मिल खिलाने के लिए रसोईयों की तैनाती की गई है। स्कूलें में रसोईयां रसोई से संबंधित सभी व्यवस्थाएं देखती हैं। आलम यह है कि मिठोरा ब्लाक क्षेत्र के कई ग्राम सभा के विद्यालय

मे रसोई गैस उपलब्ध नहीं है। ऐसी परिस्थिति में रसोईयां लकड़ी के सहारे मध्यान्ह भोजन बनाने को विवश हैं। विद्यालयों में गैस की खरीदारी नहीं की जाती है। पांच वर्ष पूर्व ग्राम पंचायत के ग्राम निधि खाते से लगभग दर्जन परिषदीय विद्यालयों में रसोई गैस प्रधान व पंचायत सचिव ने खरीदे थे। गैस कनेक्शन के लिए सरकारी धन व्यय किया गया था। परिषदीय विद्यालयों में रसोई गैस की व्यवस्था की गयी थी लेकिन वर्तमान में गैस कनेक्शन सिर्फ कागजों में रह गया। ब्लाक संसाधन केंद्र मिठौरा ब्लाक क्षेत्र के विद्यालय पर गैस कनेक्शन वाले विद्यालयों की सूची ही गायब है। यहां कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। आलम यह है कि हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय पाने वाले रसोईयां अपनी दोनों आंखों की रोशनी गंवाने को विवश हैं। विभाग भी रसोईयों की इस जमीनी समस्या की तरफ ध्यान नहीं दे रहा है।

ब्लाक मिठौरा खंड शिक्षा अधिकारी ने बताया कि जानकारी नही है।

मिठौरा ब्लाक क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों में गैस चूल्हा उपलब्ध है या नहीं इसका जवाब किसी के पास नहीं है। वर्ष 2005 में स्कूलों में गैस कनेक्शन लेने के लिए आदेश दिया गया था।

अध्यापकों के स्थानांतरण व प्रधान बदलने के साथ धीरे-धीरे गैस सिलेंडर व चूल्हे गायब होते गये। इसकी जानकारी बीईओ कार्यालय में भी नहीं है।

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