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फर्जी अनुसूचित जन जाति प्रमाणपत्र के सहारे बना ग्राम प्रधान कमलेश गोंड़ सहित पुरे परिवार पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज

भारत रक्षक न्यूज

महराजगंज/निचलौल ब्लाक क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सभा लोहरौली के ग्राम प्रधान कमलेश कुमार गोंड के पुरे परिवार पर धोखा धडी के आरोप मे मुकदमा दर्ज

मूल आदिवासी जनजाति कल्याण संस्था गोरखपुर जरिये राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय बहादुर चौधरी।द्वारा माo न्यायालय महराजगंज मे वाद दाखिल कर संबंधित फर्जी अनुसूचित जन जाति-प्रमाण-पत्र बनाने व बनवाने वालो पर अनुसूचित जन जाति के अधिकारों का उल्लंघन करने वालो के खिलाफ न्यायालय मे वाद दाखिल कर विद्वानअधिवक्ता दामोदर पाण्डेय ने मा/न्यायालय के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए कहा की अनुसूचित जाति यों के अधिकारो का हनन किया गया है। के द्वारा आदेश दिनांक 30/03/24 को निचलौल थाना को संबंधित लोगों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश पारित किया सिसमे मुख्य आरोपित
01/ कमलेश कुमार गोंड उम्र लगभग 50 वर्ष पुत्र रामजी गोंड
02/ कुन्ती देवी उम्र लगभग 28 वर्ष पत्नी कमलेश कुमार गोंड

03/ संजीत उम्र लगभग 28 वर्ष पुत्र कमलेश गोंड़
04/कृष्ण कुमार उम्र लगभग 26 वर्ष पुत्र कमलेश गोंड़
05/ सुनीता देवी उम्र लगभग 26 वर्ष पत्नी संजीत

राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय बहादुर चौधरी द्वारा अपने प्रार्थना पत्र में यह कथन उल्लिखित किया गया है कि वह मूल आदिवासी जनजाति कल्याण संस्था के रास्ट्रीय अध्यक्ष है। संगठन मूल आदिवासियों के संवैधानिक और विधिक अधिकारों और उनके शशक्तिकरण के लिए कार्य करता है। जनपद-महाराजगंज में कुछ भ्रष्ट लोकसेवक ने गैर अनुसूचित जन जाति के लोगों को फर्जी जनजाति का जाति प्रमाण-पत्र जारी किया और मूल आदिवासी लोगों के संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण किया। संगठन द्वारा यह पाया गया कि विपक्षीगण कमलेश कुमार गोंड, कुन्ती देवी, संजीत, कृष्ण कुमार व सुनीता देवी के द्वारा फर्जी जाति प्रमाण-पत्र बनवाकर उसके जाति के लोगों के संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण किया है। जाति प्रमाण-पत्र सत्यापन समीति महराजगंज द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों का परिशीलन किया गया व पाया कि कमलेश कुमार गौंड के पुरे परिवार कहार जाति के है।कूटरचना कर अनुसूचित जन जाति प्रमाण-पत्र प्राप्त किया था महराजगंज जाति-प्रमाण-पत्र सत्यापन समीति ने सभी-प्रमाण-पत्र को निरस्त कर दिया, अपने आदेश में समिति ने कूटरचना को साबित किया है किन्तु समीति द्वारा फर्जी जाति प्रमाण-पतों के हिताधिकारी और जारीकर्ता लोकसेवकों पर कोई कार्यवाही नहीं किया जोकि उनका दायित्व था और न तो संस्तुति ही किया। अभियुक्तगण द्वारा मामले को जाति प्रमाण-पत्रों के सत्यापन / संवीक्षा हेतु मण्डलीय स्तरीय समीति, गोरखपुर मण्डल गोरखपुर के समक्ष अपील किया गया लेकिन अपील बलहीन होने के कारण निरस्त कर दिया गया। इस प्रकार अभियुक्तगण द्वारा एक आपराधिक षड्यंत्र के तहत भ्रष्ट लोकसेवकों को अपने प्रभाव में लेकर फर्जी जाति प्रमाण-पत्र बनवाए और उसके समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का विधि विरुद्ध तरीके से हनन किये जिससे उसको घोर मानसिक कष्ट हुआ। अभियुक्तगण द्वारा फर्जी जाति प्रमाण-पत्र को कहा जनजाति के लिए राज्य द्वारा प्रदत्त योजनाओं में लाभ प्राप्त करने के लिए प्रयोग किये और नाजायज तरीके से लाभ लिए और जनजाति के लिए आरक्षित पद को नाजायज तरीके से कब्जा किये है। लोकसेवकों ने फर्जी जाति प्रमाण-पत्र जारी करने में अपनी भूमिका निभाई है। जो जांच का विषय है।

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