उत्तरप्रदेश

वर्मी कम्पोस्ट (केंचुए की जैविक खाद) बनाने की सरल विधि की जानकारी देते(वर्मी कम्पोस्ट विशेषज्ञ नागेंद्र पाण्डेय)

भारत रक्षक न्यूज

राजेश गौतम महराजगंज 9455003656

महराजगंज/हीरालाल रामनिवास स्नातकोत्तर महाविद्यालय खलीलाबाद, संतकबीरनगर से विज्ञान वर्ग यम.यस-सी के छात्रों का दल शैक्षिणिक भ्रमण करके वर्मी कम्पोस्ट जैविक खाद के बारे मे जानकारी प्राप्त किया।
वर्मी कम्पोस्ट के बारे मे जानकारी नागेन्द्र पाण्डेय,वर्मी कम्पोस्ट विशेषज्ञ के द्वारा दिया गया। बताया गया कि खेती मे रसायनिक उर्बरक का प्रयोग करने से उत्पादन बढ़ा लेकिन हमारे भूमि की उर्बरता और भोजन की गुणवत्ता घट गयी। इससे भूमि और मानव सब बीमार हो रहे हैं। वर्मी कम्पोस्ट जैविक खाद से हम उर्वरकों पर निर्भरता कम कर शुद्ध जैविक उत्पादन कर स्वावलंबी और स्वस्थ्य बन सकते हैं।

वर्मी कम्पोस्ट (केंचुए की जैविक खाद) बनाने की सरल विधि

केंचुए की खाद सभी फसलों के लिये उत्तम खाद होती है। इसको बनाना, रखना, खेत में डालना एकदम आसान होता है। यह पूर्ण रूप से शुद्ध जैविक खाद होती है। आइए जानते है कैसे बनाये और रख रखाव करें तथा खेत में कैसे प्रयोग करें केंचुए की खाद को-

  1. स्थान का चुनावः- केंचुआ की खाद बनाने के लिये स्थान उँचा व छायादार होनी चाहिए। वहाँ पर बरसात में ज्यादा पानी न भरता हो, स्थान पर आना जाना सरल हो, पास में पानी की व्यवस्था हो यदि पशुपालन भी पास है तो और भी अच्छा होता है।
  2. कम्पोस्ट पिट का निर्माणः- केंचुआ सीधा जीव होता है इसके लिये सामान्यतः टैंक बनाकर उसमें इसके भोज्य पदार्थो को साथ रखा जाता है। इसके लिए सामान्यतः एक किसान जो 01 हेक्टेयर जोत तक का है वह 10X03X01 फिट लम्बाई, चौड़ाई, गहराई के आकार का पिट बनवाकर कम्पोस्ट खाद बना सकता है। इसके लिए जमीन को साफ व समतल करके ईट की एक परत बिछा दी जाती है। पुनः परत के उपर टैंक का निर्माण सीमेन्ट व बालू से चिनाई कर दिया जाता है। सुविधानुसार बाहर से प्लास्टर कर दिया दिया जाता है। यदि एक पिट से ज्यादा बनाने है तो दूसरी पिट में निचे के तरफ दो रद्दे में लगभग 03 इंच के सुराख रख दिया जाता है। जिससे नमी व केंचुए का आवागमन हो सके।
  3. कम्पोस्ट पिट छाया हेतु शेड का निर्माणः- कम्पोस्ट पिट के पास उँचाई में छाया हेतु प्लास्टिक, खरपतवार का छाया दे दिया जाता है। यह बांस के सहारे बना दिया जाता है इससे तेज धूप, बरसात में बचाव होता है व हर समय कम्पोस्ट का उत्पादन हो सकता है।
  4. कम्पोस्ट पिट की भरायी:- वर्मी कम्पोस्ट पिट तैयार हो जाने के बाद उसमें पशुओं का अपशिष्ट (गोवर, मूत्र, चारा आदि) कृषि का अपशिष्ट (सब्जियों का डंठल, पत्ती इत्यादि) घर का अपशिष्ट (जो तेज गंध / क्षार का न हो) मिलाकर पिट के पास रख दिया जाता है। कम्पोस्ट पिट तैयार हो जाने पर उसे टैंक में पूरा भर दिया जाता है। भराई में प्लास्टिक, ईंट, पत्थर, लकड़ी इत्यादि नहीं होना चाहिए। इस प्रकार पिट को भरकर उसमें पानी डाल दिया जाता है जिससे सब अपशिष्ट आपस में चिपक व मिल जाए। भरते समय गोवर ताजा नहीं होना चाहिए।
  5. कम्पोस्ट पिट में केंचुआ डालना :- कम्पोस्ट पिट में में अपशिष्ट भरने के बाद 4/5 दिनों के बाद उपरी सतह पर पिट 04 किलोग्राम केंचुआ लगभग डालकर पानी से हल्का नमी कर दिया जाता है। जिससे केंचुआ अपशिष्ट में सरलता से अन्दर चले जाए।
  6. कम्पोस्ट पिट का देख रेख:- प्रथम चक्र केंचुआ डालने के बाद लगभग 15-20 दिनों पर उसकी आधे गहराई तक कम्पोस्ट की पलटाई पंजे से किया जाता है। पलटाई के बाद अपशिष्ट के ढेलों को तोड़कर महीन कर दिया जाता है यदि गर्मी ज्यादा होती है तो बीच-2 में पानी का छिड़काव किया जाता है। (इस प्रयास में अपशिष्ट का उपरी भाग हल्का नमी बना रहे इतना नमी रखा जाता है)। द्वितीय चक्र की पलटाई केंचुआ डालने के लगभग 35 से 40 दिन बाद किया जाता है। इस चक्र में कम्पोस्ट की पलटाई लगभग 6 से 8 इंच गहरा तक किया जाता है। प्रथम चक्र का कम्पोस्ट निकालने के बाद केंचुओं की संख्या में वृद्धि हो जाने पर पलटाई का चक्र 10-15 दिनों पर कर दिया जाता है।

छात्रों को वर्मी ईकाई बनाने,भराई करना, रखरखाव करने, कम्पोस्ट छनाई, भंडारण, पैकिंग आदि के बारे मे पूरी जानकारी दिया गया।
छात्रों का नेतृत्व प्रो.डा.अनुपम पति द्वारा किया गया ?

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